कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना हुई, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। कश्मीर की दर्दनाक सच्चाई आतंकवादियों ने 27 हिंदुओं को निशाना बनाकर मार डाला। लेकिन इस हमले के बीच एक मुसलमान, सैयद आदिल हुसैन, ने अपनी जान देकर इंसानियत की मिसाल पेश की। उसने पर्यटकों को बचाने के लिए आतंकवादियों से टक्कर ली और शहीद हो गया। इस घटना ने हिंदू-मुस्लिम तनाव को बढ़ा दिया, लेकिन सैयद और उसके रिश्तेदार नजाकत की बहादुरी ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।
सैयद और नजाकत की बहादुरी: एक अनसुनी कहानी
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में आतंकवादियों ने हिंदुओं को टारगेट किया। इस हमले में 27 लोग मारे गए, जिनमें सैयद आदिल हुसैन भी शामिल था। सैयद एक साधारण घोड़ा वाला था, जो पर्यटकों को कश्मीर की खूबसूरत वादियों में सैर करवाता था। उसने आतंकवादियों से साफ कहा, “ये हमारे मेहमान हैं, इन्हें हाथ मत लगाओ।” उसने आतंकवादियों की बंदूक छीनने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उसकी छाती में गोली मार दी। सैयद की शहादत ने कश्मीरियत को जिंदा रखा, लेकिन उसका परिवार बिखर गया—माता-पिता बेसहारा, बहन अकेली, और पत्नी विधवा हो गई। वहीं, सैयद के रिश्तेदार नजाकत अली ने 11 लोगों की जान बचाई। उसने चार दंपतियों और तीन बच्चों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया। इन लोगों का कहना है, “अगर नजाकत न होता, तो हम भी उन 27 शवों में शामिल होते।”
इस हमले के बाद देश में हिंदू-मुस्लिम तनाव गहरा गया। कई लोग कहने लगे कि मुसलमान आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। लेकिन सैयद और नजाकत की कहानी इसका जवाब है। सैयद के पास बचने का मौका था, क्योंकि कट्टरपंथी उसे दुश्मन नहीं मानते थे। फिर भी उसने हिंदुओं की जान बचाने के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। इस हमले में ज्यादातर हिंदू मारे गए, और आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर वार किया। लेकिन सैयद ने साबित किया कि इंसानियत धर्म से बड़ी होती है। उसकी तस्वीरें और जनाजा देखकर लोगों की आंखें नम हो गईं।
देश में बहस: क्या आतंकवाद का धर्म होता है?
इस घटना के बाद देश भर में बहस छिड़ गई। कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि ज्यादातर आतंकवादी मुसलमान ही क्यों होते हैं? लेकिन सच यह भी है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। कश्मीर में खूनखराबे के बीच सैयद और नजाकत जैसे लोग उम्मीद की किरण बनकर उभरे। सैयद का परिवार आज टूट चुका है। उसकी बहन असीमा ने बताया कि सुबह उसने कहा था, “घर कैसे चलेगा?” उसे नहीं पता था कि यह उसकी आखिरी सुबह होगी। दूसरी ओर, नजाकत ने हिम्मत नहीं हारी और 11 लोगों को मौत के मुंह से बाहर निकाला। ये लोग नजाकत को अपना मसीहा मानते हैं।
कई मुसलमानों ने इस हमले पर शर्मिंदगी जताई और कहा, “हमें भी बदनाम होना पड़ता है।” मशहूर अभिनेता शाहरुख खान ने एक बार कहा था, “आतंकवाद इस्लाम का हिस्सा नहीं है। कुरान इंसानियत सिखाता है, हिंसा नहीं।” सैयद ने भी यही साबित किया। उसने दिखाया कि सच्चा मुसलमान जान लेने वाला नहीं, बल्कि जान बचाने वाला होता है।
कश्मीर में इंसानियत की जंग: एक नई उम्मीद
पहलगाम की इस घटना ने भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को झकझोर दिया। कश्मीर में पहले भी कई आतंकी हमले हो चुके हैं, लेकिन इस बार सैयद और नजाकत की कहानी ने लोगों को नई सोच दी। भारत की 140 करोड़ आबादी में करीब 25 करोड़ मुसलमान हैं। इन्हें नजरअंदाज करना संभव नहीं है। हमें आतंकवाद और नफरत के खिलाफ लड़ना होगा, न कि एक-दूसरे के खिलाफ। सैयद जैसे लोग बताते हैं कि कश्मीर की धरती पर इंसानियत अभी भी जिंदा है। हमें धर्म के नाम पर भेदभाव खत्म करना होगा। सच्चा धर्म वही है, जो इंसानियत की रक्षा करता है। सैयद की शहादत उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि है, जो इस हमले में मारे गए।
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