रीना चंदेल की उड़ान: आगर मालवा की ‘ड्रोन दीदी’ खेती में ला रहीं नई क्रांति, सालाना कमा रहीं लाखों रुपए

🔹 Alt Text: Reena Chandel from Agar Malwa operating agricultural drone in field
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जब सपनों को उड़ान मिलती है, तो आसमान भी छोटा लगने लगता है। कुछ ऐसा ही हुआ है मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले की बेटी रीना चंदेल के साथ, जो अब ‘ड्रोन दीदी’ के नाम से मशहूर हो चुकी हैं। कभी साधारण जीवन जीने वाली रीना, आज अपनी मेहनत, आत्मविश्वास और सरकार की योजनाओं के सहारे खेती में तकनीकी क्रांति की मिसाल बन चुकी हैं।

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रीना का जीवन उस मोड़ पर आया जब उन्होंने ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ के तहत ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण लिया। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें खेती में आधुनिक तकनीक से जोड़ना है। रीना बताती हैं कि उन्हें इंदौर और भोपाल में ड्रोन ऑपरेटर बनने का प्रशिक्षण मिला, और ये प्रशिक्षण पूरी तरह निशुल्क था। इतना ही नहीं, सरकार ने उन्हें साल 2024 में एक फ्री ड्रोन भी उपलब्ध कराया।

रीना का आत्मविश्वास उस समय सातवें आसमान पर पहुंच गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में ड्रोन दीदियों की सराहना करते हुए उन्हें “स्काई वॉरियर्स” का नाम दिया। यह सुनकर रीना को गर्व महसूस हुआ कि वह अब केवल एक किसान की बेटी नहीं, बल्कि तकनीक से लैस एक नई सोच की प्रतिनिधि हैं।

अब रीना चंदेल अपने ड्रोन से किसानों के खेतों में नैनो यूरिया और पेस्टिसाइड का छिड़काव करती हैं। वे बताती हैं कि एक सीजन में वे आसानी से ₹40,000 तक कमा लेती हैं, और साल भर में यह आमदनी ₹1 लाख के पार पहुंच जाती है। उनकी यह कमाई केवल आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान और पहचान के स्तर पर भी उन्हें मजबूत बनाती है।

ड्रोन तकनीक ने न केवल रीना की जिंदगी बदली है, बल्कि किसानों को भी इसका बड़ा लाभ मिल रहा है। वे कहती हैं कि परंपरागत तरीके से कीटनाशक या खाद का छिड़काव करना न सिर्फ महंगा होता है, बल्कि उसमें समय और श्रम भी अधिक लगता है। वहीं ड्रोन से केवल 5 से 10 मिनट में एक हेक्टेयर जमीन पर स्प्रे किया जा सकता है, और वो भी संतुलित मात्रा में। इससे फसल पर सीधा असर होता है और किसानों को अधिक उपज और मुनाफा मिलता है।

रीना अब केवल ड्रोन ऑपरेटर नहीं हैं, बल्कि वे किसानों को जागरूक करने का भी काम कर रही हैं। वे गांव-गांव जाकर नैनो यूरिया और आधुनिक खेती के फायदे समझा रही हैं। उनकी यह कोशिश आज हजारों किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

निष्कर्ष – रीना चंदेल की यह प्रेरणादायक कहानी बताती है कि अगर हौसले बुलंद हों और सही मार्गदर्शन मिल जाए, तो कोई भी महिला किसी भी क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। आगर मालवा की यह ‘ड्रोन दीदी’ न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि कई अन्य महिलाओं और किसानों के लिए भी एक रोल मॉडल बन चुकी हैं।

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