विदिशा की ‘ड्रोन दीदी’ प्रभा वर्मा की उड़ान, जो पहुंची प्रधानमंत्री तक

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मध्यप्रदेश के छोटे से गांव से निकली एक महिला अब पूरे प्रदेश में मिसाल बन चुकी है। ये कहानी है विदिशा ज़िले के रंगई गांव की प्रभा वर्मा की, जिन्हें अब लोग प्यार से “ड्रोन दीदी” के नाम से जानते हैं। कभी घरेलू ज़िम्मेदारियों में उलझी प्रभा वर्मा, आज न केवल एक कुशल ड्रोन ऑपरेटर हैं, बल्कि तकनीक के माध्यम से आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा गढ़ रही हैं।

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प्रभा वर्मा ने अपने जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई “नमो ड्रोन दीदी योजना” से जुड़कर एक नई दिशा पाई। शुरुआत में उन्हें तकनीकी जानकारी नहीं थी, ड्रोन का नाम तक नहीं सुना था, लेकिन उन्होंने खुद को बदलने का मन बना लिया। ग्वालियर जाकर 15 दिनों का कठिन प्रशिक्षण लिया और उसमें 30 में से 27 अंक हासिल कर दिखाया कि हौसले हों तो कुछ भी असंभव नहीं।

इस योजना के तहत उन्हें 9 लाख रुपये का आधुनिक ड्रोन मिला। प्रभा ने अपने ही खेत से इसकी शुरुआत की और देखते ही देखते 500 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन पर नैनो यूरिया और कीटनाशकों का छिड़काव कर किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़ दिया। प्रति एकड़ 300 रुपये के हिसाब से वे डेढ़ लाख रुपये से अधिक की कमाई कर चुकी हैं। इससे न केवल खेती में पानी और समय की बचत हुई, बल्कि किसान भी संतुष्ट और लाभान्वित हुए।

उनकी सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली। प्रभा वर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने ड्रोन दीदी और लखपति दीदी के रूप में देश भर के सामने अपनी उपलब्धि प्रस्तुत की। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने भी उन्होंने ड्रोन प्रदर्शन किया और उनकी तकनीकी दक्षता को सराहा गया।

प्रभा वर्मा ने खुद की तरक्की को समाज से जोड़ा। उन्होंने ‘श्री साईं स्व-सहायता समूह’ की शुरुआत की जिसमें 15 महिलाएं शामिल हैं। यह समूह किराना, पान, पशुपालन, खेती जैसे छोटे व्यवसायों से जुड़ा है और हर सदस्य को 10,000 रुपये तक की मासिक आय हो रही है। यही नहीं, प्रभा “अजीविका स्वाद संगम” के तहत सस्ते भोजन और नाश्ता भी उपलब्ध करवा रही हैं, जिससे कई परिवारों को रोज़गार मिला है।

प्रभा की निजी कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है। मूल रूप से इटारसी की रहने वाली प्रभा की शादी विदिशा के रंगई गांव में हुई थी। पहले वे केवल एक गृहिणी थीं, लेकिन आज वे तकनीक से लेकर नेतृत्व तक हर मोर्चे पर सशक्त खड़ी हैं। उनके पति अंशुल वर्मा, जो खुद किसान हैं, ने उनकी पूरी यात्रा में उनका साथ दिया और हिम्मत बंधाई।

‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ उन महिलाओं के लिए एक सुनहरा अवसर बन रही है, जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। इस योजना के तहत ड्रोन की ट्रेनिंग, फाइनेंसिंग और सब्सिडी जैसी सहूलियतें मिलती हैं, जिससे महिलाएं खेती में तकनीकी बदलाव ला रही हैं और आय का मजबूत स्रोत बना रही हैं। प्रभा वर्मा की उड़ान सिर्फ ड्रोन की नहीं, बल्कि उस आत्मविश्वास की है, जो अब लाखों महिलाओं को ऊंचा उड़ने की प्रेरणा दे रही है।

निष्कर्ष: प्रभा वर्मा का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी महिला अपनी ज़िंदगी को नई दिशा दे सकती है। उन्होंने तकनीक को अपनाकर न केवल खुद को सशक्त किया, बल्कि दूसरों को भी आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया।
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vijay

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